|
“नकटा” ये भी एक विधा है लोक संगीत की,जो की बहुत ही मनोरंजक व लोक प्रिय है. पहले तो लगता है मैं अर्थ समझा दूँ की नकटा होता क्या है.असल में ये शब्द भी लोक भाषा का ही है.जैसा की सर्व विदित है की उत्तर-प्रदेश की लोक कलाओं में नाटक और नौटंकी ही सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं,और ये नकटा शब्द यहीं से आता है. इसके गीत बडे ही रसीले,चुलबुले और छेड़-छाड़ से भरे होते हैं.अब देखते हैं की इनका विकास और प्रासंगिकता कहाँ से शुरू होती है. ये मूलतः स्त्रियों द्वारा ढोलक के साथ गया जाने वाला गीत होता है...साथ ही इस पर नृत्य या जैसा की इस का नाम ही परिभाषित करता है अभिनय या नाटक भी किया जाता है.
पहले ज़माने में जब विवाह होता था,विशेषकर लड़कों का और बारात चली जाती थी,और तब बारात में स्त्रियाँ नहीं जाती थीं और बारात भी कम से कम दो या तीन दिन के लिए जाती थीं,तब घर में परिवार व तमाम रिश्तेदारी की स्त्रियाँ ही रह जाती थी और वे मनोरंजन के लिए रतजगा जैसे कार्यक्रम करती थीं. पूरी-पूरी रात गाने-बजाने का कार्यक्रम होता रहता था और तब नकटा का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान होता था. चुटीले से गीतों पर स्त्रियाँ प्रहसन व मंचन करती थीं,उन्ही स्त्रियों में से कोई पुरुष रूप भी बना कर आती थीं....हालाँकि परदा प्रथा भी थी तो स्त्रियाँ लम्बे घूँघट भी किए रहती थी...इस में मज़े की बात ये भी थी की कई बार पता भी नहीं चलता था की किस की बहू कब क्या सुना गयी अपनी सास ननद को गीतों के माध्यम से.सबसे रोचक किसी स्त्री का पुरुष बहुरूप बना कर आना व विनोद भरा दृश्य गीत के साथ अभिनय व मंचन कर के दिखाना होता था,इस में हास्य व कटाक्ष का बड़ा ही सुंदर मिश्रण होता था. नकटा सिर्फ़ इसी अवसर पर नहीं बल्कि शादी-विवाहों के कई और अवसरों पर गाया जाता है.अगर आप ग़ौर करें तो पायेंगे की हमारी छोटी सी भी परंपरा या विधी के पीछे कोई ना कोई logical कारण होता है,जहाँ नकटा गा-बजा कर और रतजगा कर परिवार भर की स्त्रियाँ मनोरंजन करती थीं वहीं ये सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण था,जैसा की मैंने पहले ही बताया सभी पुरुष बारात में चले जाते थे....तो गाँव में चोरी और डकैती का बड़ा डर होता था,तो रात भर जाग कर ये सब मनोरंजन के साथ अपनी सुरक्षा भी कर लेती थीं.ऐसी अनूठी थीं हमारी लोक कलायें व परम्परायें.आप ने भी अपनी दादी नानी से ऐसे कुछ क़िस्से ज़रूर सुने होंगे.
तो चलिए,ले चलते हैं आप को नकटा गीतों की अद्भुत व रसीलि दुनिया में...आशा है आप को पसंद आयेंगी.

“मोरे बारे बलमवा”
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
आवे दा....२
इक इक में दुई दुई लगाई देबो
हाँ इक इक में....२
आवे दा...२
अपने खाबे पूरी मिठाई
अपने खाबे...२
बलमू के थरिया सजाई देबो
हाँ बलमू...२
सासु जी के उहे टिकरिया
सासु जी के...२
उपरा से चटनी लगाई देबो
हाँ उपरा से....२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक में...२
अपने रहबे कोठी अटारी
अपने रहबे...२
परदेसी के बंगला छबाई देबो
परदेसी के....२
सासु जी के उहे झोपड़ियाँ
सासु जी के....२
निचवा से माचिस दिखाई देबो
हाँ निचवा से...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक में....२
अपने चलबे मोटर कार
अपने चलबे...२
बलमू के साइकिल दिलाई देबो
हाँ बलमू के...२
सासु जी के उहे बैल गड़िया
सासु जी के....२
पिछवा से कुकूर दौराई देबो
हाँ पिछवा से...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
आवे दा...२
इक इक में दुई दुई लगाई देबो
हाँ इक इक...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक...२

“अँगूठिया”
कौनो हमरी अँगूठिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी अँगूठिया पिया की निशनिया
हमरी अँगूठिया....२
कौनो पिया की निशनिया चुराई
ले गैले
कौनो पिया की...२
कौनो हमरी....२
हमरी खिड़कियाँ पिया की दुआरिया
हमरी खिड़कियाँ....२
कौनो नैना से नैना लड़ाई ले गैले
कौनो नैना से...२
पिया नैना से नैना लड़ाई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी चुनरिया पिया की पगड़िया
हमरी चुनरिया...२
कौनो रंग में रंग मिलाई ले गैले
कौनो रंग में....२
कौनो हमरी....२
कौनो पिया की निशनिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी नंदिया पिया की बहिनिया
हमरी नंदिया...२
कौनो पुलिस दरोग़ा भगाई ले गैले
कौनो पुलिस दरोग़ा....२
कौनो हमरी नंदिया भगाई ले गैले
कौनो हमरी....२
कौनो हमरी अँगूठिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी अँगूठिया पिया की निशनिया
कौनो पिया की निशनिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी....२

“नीली सारी”
गोरा बदन नीली सारी
मैं सारी वाली
गोरा बदन...२
सडिया पहन मैं बग़ियो गयी थी
सडिया पहन....२
मलिया ने हँस के मारा ताली
मैं सारी वाली
मलिया ने....२
गोरा बदन.....२
सडिया पहन मैं क़ुवनो गयी थी
सडिया पहन....२
महारा ने हँस के मारा ताली
मैं सारी वाली
महरा ने....२
गोरा बदन....२
सडिया पहन मैं महलों गयी थी
सडिया पहन...२
राजा ने हँस के दिया गाली
मैं सारी वाली
राजा ने....२
गोरा बदन....२
गोरा बदन नीली सारी
मैं सारी वाली
गोरा बदन....२

“पिया के बोलिया”
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर....२
ऐ हो सासु के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो सासु....२
जैसे निमिया पतैया तितैया लागेला
जैसे निमिया....२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो नन्दि के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो नन्दी....२
जैसे कूनैन के गोलीया तितैया लागेला
जैसे कूनैन...२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो जेठनी के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो जेठनी...२
जैसे ज़हर बूराईल तिरिया लागेला
जैसे ज़हर....२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर....२
ऐ हो देवर के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो देवर....२
जैसे कोयल के बोलिया मीठिया लागेला
जैसे कोयल...२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो सासु के बोलिया कैसन लागेला
जैसे निमिया पतैया तितैया लागेला
रस घोर घोर....२

“दई के पान”
दई के पान हमारा मन मोह लिया
दई के पान....२
दई के हाँ..दई के पान....२
कहाँ से आया कत्था चूना
कहाँ से आया पान
कहाँ से...२
कहाँ की गोरी कहाँ का जवान
हमारा मन....२
दई के पान.....२
दिल्ली से आया कत्था चूना
बनारस से पान
दिल्ली से...२
बोम्बे की गोरी लाहौर का जवान
हमारा मन...२
दई के पान...२
कहाँ रखूँ कत्था चूना
कहाँ रखूँ पान
कहाँ रखूँ.....२
कहाँ सोवे गोरी कहाँ पे जवान
हमारा मन...२
दई के.....२
हंडिया रखूँ कत्था चूना
डलिया रखूँ पान
हंडिया रखूँ....२
सेज सोवे गोरी बग़ल में जवान
हमारा मन...२
दई के....२
दई के पान हमारा मन मोह लिया
दई के पान....२
दई के हाँ...दई के पान
हमारा मन मोह लिया
दई के....२
“मोर पिया”
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की लम्बी लम्बी ज़ुल्फ़ें
हमरे पिया...२
झटकत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झटकत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की लम्बी लम्बी धोतियाँ
हमरे पिया...२
उलझत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
उलझत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे..२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की बड़ी बड़ी अँखिया
हमरे पिया...२
मारत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
मारत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया....२
झूमत आवे....२
पहले ज़माने में जब विवाह होता था,विशेषकर लड़कों का और बारात चली जाती थी,और तब बारात में स्त्रियाँ नहीं जाती थीं और बारात भी कम से कम दो या तीन दिन के लिए जाती थीं,तब घर में परिवार व तमाम रिश्तेदारी की स्त्रियाँ ही रह जाती थी और वे मनोरंजन के लिए रतजगा जैसे कार्यक्रम करती थीं. पूरी-पूरी रात गाने-बजाने का कार्यक्रम होता रहता था और तब नकटा का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान होता था. चुटीले से गीतों पर स्त्रियाँ प्रहसन व मंचन करती थीं,उन्ही स्त्रियों में से कोई पुरुष रूप भी बना कर आती थीं....हालाँकि परदा प्रथा भी थी तो स्त्रियाँ लम्बे घूँघट भी किए रहती थी...इस में मज़े की बात ये भी थी की कई बार पता भी नहीं चलता था की किस की बहू कब क्या सुना गयी अपनी सास ननद को गीतों के माध्यम से.सबसे रोचक किसी स्त्री का पुरुष बहुरूप बना कर आना व विनोद भरा दृश्य गीत के साथ अभिनय व मंचन कर के दिखाना होता था,इस में हास्य व कटाक्ष का बड़ा ही सुंदर मिश्रण होता था. नकटा सिर्फ़ इसी अवसर पर नहीं बल्कि शादी-विवाहों के कई और अवसरों पर गाया जाता है.अगर आप ग़ौर करें तो पायेंगे की हमारी छोटी सी भी परंपरा या विधी के पीछे कोई ना कोई logical कारण होता है,जहाँ नकटा गा-बजा कर और रतजगा कर परिवार भर की स्त्रियाँ मनोरंजन करती थीं वहीं ये सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण था,जैसा की मैंने पहले ही बताया सभी पुरुष बारात में चले जाते थे....तो गाँव में चोरी और डकैती का बड़ा डर होता था,तो रात भर जाग कर ये सब मनोरंजन के साथ अपनी सुरक्षा भी कर लेती थीं.ऐसी अनूठी थीं हमारी लोक कलायें व परम्परायें.आप ने भी अपनी दादी नानी से ऐसे कुछ क़िस्से ज़रूर सुने होंगे.
तो चलिए,ले चलते हैं आप को नकटा गीतों की अद्भुत व रसीलि दुनिया में...आशा है आप को पसंद आयेंगी.

“मोरे बारे बलमवा”
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
आवे दा....२
इक इक में दुई दुई लगाई देबो
हाँ इक इक में....२
आवे दा...२
अपने खाबे पूरी मिठाई
अपने खाबे...२
बलमू के थरिया सजाई देबो
हाँ बलमू...२
सासु जी के उहे टिकरिया
सासु जी के...२
उपरा से चटनी लगाई देबो
हाँ उपरा से....२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक में...२
अपने रहबे कोठी अटारी
अपने रहबे...२
परदेसी के बंगला छबाई देबो
परदेसी के....२
सासु जी के उहे झोपड़ियाँ
सासु जी के....२
निचवा से माचिस दिखाई देबो
हाँ निचवा से...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक में....२
अपने चलबे मोटर कार
अपने चलबे...२
बलमू के साइकिल दिलाई देबो
हाँ बलमू के...२
सासु जी के उहे बैल गड़िया
सासु जी के....२
पिछवा से कुकूर दौराई देबो
हाँ पिछवा से...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
आवे दा...२
इक इक में दुई दुई लगाई देबो
हाँ इक इक...२
आवे दा मोरे बारे बलमवा के
इक इक...२
“अँगूठिया”
कौनो हमरी अँगूठिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी अँगूठिया पिया की निशनिया
हमरी अँगूठिया....२
कौनो पिया की निशनिया चुराई
ले गैले
कौनो पिया की...२
कौनो हमरी....२
हमरी खिड़कियाँ पिया की दुआरिया
हमरी खिड़कियाँ....२
कौनो नैना से नैना लड़ाई ले गैले
कौनो नैना से...२
पिया नैना से नैना लड़ाई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी चुनरिया पिया की पगड़िया
हमरी चुनरिया...२
कौनो रंग में रंग मिलाई ले गैले
कौनो रंग में....२
कौनो हमरी....२
कौनो पिया की निशनिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी नंदिया पिया की बहिनिया
हमरी नंदिया...२
कौनो पुलिस दरोग़ा भगाई ले गैले
कौनो पुलिस दरोग़ा....२
कौनो हमरी नंदिया भगाई ले गैले
कौनो हमरी....२
कौनो हमरी अँगूठिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी...२
हमरी अँगूठिया पिया की निशनिया
कौनो पिया की निशनिया चुराई ले गैले
कौनो हमरी....२

“नीली सारी”
गोरा बदन नीली सारी
मैं सारी वाली
गोरा बदन...२
सडिया पहन मैं बग़ियो गयी थी
सडिया पहन....२
मलिया ने हँस के मारा ताली
मैं सारी वाली
मलिया ने....२
गोरा बदन.....२
सडिया पहन मैं क़ुवनो गयी थी
सडिया पहन....२
महारा ने हँस के मारा ताली
मैं सारी वाली
महरा ने....२
गोरा बदन....२
सडिया पहन मैं महलों गयी थी
सडिया पहन...२
राजा ने हँस के दिया गाली
मैं सारी वाली
राजा ने....२
गोरा बदन....२
गोरा बदन नीली सारी
मैं सारी वाली
गोरा बदन....२

“पिया के बोलिया”
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर....२
ऐ हो सासु के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो सासु....२
जैसे निमिया पतैया तितैया लागेला
जैसे निमिया....२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो नन्दि के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो नन्दी....२
जैसे कूनैन के गोलीया तितैया लागेला
जैसे कूनैन...२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो जेठनी के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो जेठनी...२
जैसे ज़हर बूराईल तिरिया लागेला
जैसे ज़हर....२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर....२
ऐ हो देवर के बोलिया कैसन लागेला
ऐ हो देवर....२
जैसे कोयल के बोलिया मीठिया लागेला
जैसे कोयल...२
रस घोर घोर पियवा के बोलिया लागेला
रस घोर घोर...२
ऐ हो सासु के बोलिया कैसन लागेला
जैसे निमिया पतैया तितैया लागेला
रस घोर घोर....२

“दई के पान”
दई के पान हमारा मन मोह लिया
दई के पान....२
दई के हाँ..दई के पान....२
कहाँ से आया कत्था चूना
कहाँ से आया पान
कहाँ से...२
कहाँ की गोरी कहाँ का जवान
हमारा मन....२
दई के पान.....२
दिल्ली से आया कत्था चूना
बनारस से पान
दिल्ली से...२
बोम्बे की गोरी लाहौर का जवान
हमारा मन...२
दई के पान...२
कहाँ रखूँ कत्था चूना
कहाँ रखूँ पान
कहाँ रखूँ.....२
कहाँ सोवे गोरी कहाँ पे जवान
हमारा मन...२
दई के.....२
हंडिया रखूँ कत्था चूना
डलिया रखूँ पान
हंडिया रखूँ....२
सेज सोवे गोरी बग़ल में जवान
हमारा मन...२
दई के....२
दई के पान हमारा मन मोह लिया
दई के पान....२
दई के हाँ...दई के पान
हमारा मन मोह लिया
दई के....२
“मोर पिया”
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की लम्बी लम्बी ज़ुल्फ़ें
हमरे पिया...२
झटकत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झटकत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की लम्बी लम्बी धोतियाँ
हमरे पिया...२
उलझत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
उलझत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे..२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया...२
हमरे पिया जी की बड़ी बड़ी अँखिया
हमरे पिया...२
मारत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
मारत आवे....२
झूमत आवे ताड़ी खनवा से मोर पिया
झूमत आवे...२
मोर पिया मोर पिया
मोर पिया....२
झूमत आवे....२