Saturday, 17 October 2020

भोजपुरी और बॉलीवुड

 भोजपुरी और बॉलीवुड का बहुत पुराना रिश्ता रहा है. यदि हम थोड़ा पीछे जायें तो ये स्पष्ठ रूप से दिखता है, कहानी क्यूँ की अक्सर उत्तरी भारत के गाँव या शहर से प्रभावित होती थी तो भले ही सिनेमा की भाषा खड़ीबोलि यानी हिंदी होती थी पर गीतों में लोक संगीत का वर्चस्व भरपूर दिखता है. और मज़ेदार बात ये है की ये गीत इतने लोकप्रिय हो गये की पिछले कई दशकों से अब तक हमारा मनोरंजन करने के साथ ही हमारे दिलों पे आज भी राज़ कर रहे हैं. बहुत पुराने समय की बात करें तो अधिकतर फ़िल्में कलकत्ता में बनती थीं,तो स्वाभाविक है की बांग्ला पृष्ठ भूमि की गहरी छाप होती थी और ये तो सर्व विदित है कि बंगाल का साहित्य,संगीत,संस्कृति व कला न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में गरिमामयी दृष्टि से जाना पहचाना जाता है. कहने का अर्थ सिर्फ़ इतना है की उस दौर के सिनेमा के संगीत को देखें तो बांग्ला लोक संगीत का जैसे अक्स उतर आता था गीतों में जो अपनी मधुरता व रोचक होने के नाते बहुत पसंद किया जाता था. चलते फिरते यदि कभी ऐसी कोई पुरानी धुन आज भी सुनायी पड़ जाती है तो मन को जैसे शीतल स्पर्श सा कर जाती है .

ये कहना ग़लत नहीं होगा की हमारी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति की जहाँ भी छाप पड़ती है और लोक का रंग बिखर जाता है वो चाहे किसी भी विधा का मनोरंजन हो या कला ,वो सीधे आप के अंतर्मन को छू जाता है और तन-मन प्रफुल्लित हो जाता है .इसीलिए भारतीय सिनेमा में जब जब लोक संगीत का प्रयोग हुआ हर बार सफल तो रहा ही साथ ही इन गीतों की धूम मच जाती थी. बात केवल भोजपुरी लोक संगीत की नहीं है,अगर आप आज देखें तो फिर लोक संगीत ही bollywood में छाया हुआ है हाँ भाषा ज़रूर बदल गयी है अब चारो ओर पंजाबी लोक संगीत ने धूम मचा रखी है,ये लोक संगीत का ही जादू है की वो हर किसी को गुनगुनाने पर मजबूर कर देता है . तो लीजिए इस बार कुछ ऐसे गीत आप के लिए लायी हूँ जो bollywood से हैं पर पूरी तरह से लोक संगीत से प्रभावित है और ऐसा नहीं है की ये गीत आप ने सुने नहीं होंगे,आप निश्चित ही इन गीतों से परिचित होंगे , मेरा प्रयास तो सिर्फ़ आप को इक बार फिर उन अद्भुत गीतों के संसार में पहुँचाने का है.तो आनंद लीजिए कुछ bollywoodia संगीत का. अगले post तक के लिए विदा व नमस्कार .🙏





“पिपरा के पतवा “

पिपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा 
की हियरा में उठत हिलोर 
पुरवा के झोंकवा से आयो रे 
सनेसवा की चल अब देसवा की ओर...2
पिपरा के पतवा.....2

झुकी झुकी बोले काले काले ये बदरवा...2
कब से पुकारे तोरे नैनों का कजरवा......2
उमड़ घुमड़ जब गरजे बदरिया रे 
ठुमक ठुमक नाचे मोर.....2
पिपरा के पतवा......
पुरवा के झोंकवा से...2

सिमिट सिमिट बोले लम्बी ये डगरिया 
जल्दी जल्दी चल राही अपनी नगरिया....2
रहिया तकत बिरहिनिया दुल्हनिया
रे बंध के लगनिया की डोर....2
पुरवा के झोंकवा से.....2

पिपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा
की हियरा में उठत हिलोर 
पुरवा के झोंकवा से आयो रे 
सनेसवा की चल अब देसवा की 



“गेंदा फूल “


ओय होय होय ओय होय....2
सैंया छेड़ देवे ननद चुटकी लेवे 
ससुराल गेंदा फूल...2
छोड़ा बाबुल का अंगना 
भावे डेरा पिया का...2

सास गारी देवे देवर जी 
समझा लेवे 
ससुराल गेंदा फूल 
सैंया छेड़.....2

सैंया हैं व्यापारी चले है परदेस 
सूरतिया निहारू जियरा 
भारी होवे....2
ससुराल गेंदा फूल...2
सास गारी देवे.....2

बुशट पहिन खायी के बीड़ा पान 
पूरे रायपुर से अलग है 
सैंया जी की शान...2
ससुराल गेंदा फूल...2
सैंया छेड़ देवे...2

सास गारी देवे देवर जी 
समझा लेवे 
ससुराल गेंदा फूल 
सैंया छेड़ देवे ननद 
चुटकी लेवे
ससुराल गेंदा 




“नैन लड़ जैहें”

“लागा गोरी गुजरिया से नेहा हमार 
होई गवा चौपट सारा मोरा रोज़गार”

नैन लड़ जैहें तो मनवा मा
कसक होईबै करी 
प्रेम का छूटीहै पटाखा 
तो धमक होईबै करी...2

रूप को मन मा बसईबा तो 
बुरा का होईहै...2
कोहू से प्रीत लगईबा तो
बुरा का होईहै 
प्रेम की नगरी में कुछ हमरा 
भी हक़ होईबै करी...2

नैन लड़ जईहैं....2
प्रेम का छूटीहै....2

होई गवा मन मा मोरे 
तिरछी नज़र का हल्ला...2
गोरी को देखे बिना निदियाँ 
ना आवे हमका
फाँस लगिहे तो करेजवा 
मा कसक होईबै करी...2

नैन लड़ जईहैं...2
प्रेम का छूटीहै ....2

आँख मिल जैहें सजनिया 
से तो नाचन लगिहै 
प्यार की मीठी ग़ज़ल 
मनवा भी गावन लगिहै...2
झाँझ बजिहै तो कमरिया 
मा लचक होईबै करी....2

नैन लड़ जैहें....2
प्रेम का छूटीहै...2

नैना जब लड़ीहैं तो भैया 
मन मा कसक होईबै करी..2
मन ले गयी रे धोबनिया रामा
कैसा जादू डार के...2
कैसा जादू डार के रे 
कैसा मंतर मार के....2






डोली कंहार”


जल्दी जल्दी चल रे कंहारा 
सुरुज डुबे रे नदिया...2
लचकत डोलिया डोलावे
गोरी के छुई मुई देहिया
जल्दी जल्दी....2

चाहे कहीं दाना चुगे 
पानी पिए सुगना 
सँझिया के बेरिया 
उ खोजे आपन खोतवा
वैसहि दुल्हिनिया के ललके 
परनवा उड़ी के पहुँच जाई
पिया के अंगनवा....2

चम चम सेनुरा चमके...2
दम दम दमके सुहाग बिंदिया 
जल्दी जल्दी....2

जा के ससूर्रिया गरब जिन करिहा 
सब के उठा के तू पलकिया पे रखिहा
बड़े के आदर दिहा छोटे के सनेहवा
इहे बा हो सुघर जिनगी के सनेसवा 
दोनो कुल के इज्जत रखिहा 
बोलिहा जिन तेज बोलिया
जल्दी जल्दी....2

डोली रुकी जैसे ही पिया के नगरिया 
अरे शोर उठी आ गैलि नयकी बहुरिया 
आगे आगे बँधले पिया संगे गंठिया
दौरा में डेग धरी चलबु डगरिया
ऐसहि संभल के ऐ गोरी
चलिहा जिनगी के रहिया 
जल्दी जल्दी....2

जल्दी जल्दी चल रे कंहारा 
सुरुज डुबे रे 





“अंबरसरिया”


गली में मारे फेरे 
पास आने को मेरे 
कभी परखता नैन मेरे 
वो कभी परखता तोल...2

अंबरसरिया मूँडया वे 
कचियाँ कलियाँ ना तोड़ 
तेरी माँ ने बोले है मुझे 
तीखे से बोल 
अंबरसरिया.....2

कोरी कोरी मेरी कलाई 
कोरी कोरी मेरी कलाई 
चूड़ियाँ काली काली.....2
मैं शरमाती रोज़ लगाती 
काजल सूरमा लाली 
नहीं मैं सूरमा पाणा 
रूप ना मैं चमकाना....2

नैन नशीले हों अगर तो 
सुरमे की की लोंड....2

अंबरसरिया मूँडया वे 
कचियाँ कलियाँ ना तोड़ 
तेरी माँ ने बोले हैं मुझे 
तीखे से बोल....2
अंबरसरिया.....2