Wednesday, 19 May 2021

“लोक गीतों के गुलदस्ते में कुछ सेमी क्लासिकल गीत“

 नमस्कार मित्रों, आशा है कि आप को मेरा bollywood और लोक संगीत वाला blog पसंद आया होगा. इस बार मैंने सोचा की क्यूँ ना कुछ ऐसे लोक गीत आप तक पहुंचाऊ जो शास्त्रीय संगीत के लय ताल के अनुसार कुछ अनुसाशन में होते हैं और इनका एक अलग ही स्थान होता है. वैसे तो समस्त संगीत का संसार सात सुरों में ही आधारित और समाहित होता है चाहे वो किसी भी विधा का गीत हो किंतु जब ज्ञानी गुणीजन उन्ही सुरों को विभिन्न प्रकार से व सुनियोजित तरीक़े से अलग अलग रागों में लयबद्ध करते हैं तो वह शास्त्रीय यानी (classical) संगीत बन जाता है,उसी में कुछ गीतों को कम सुर ताल व हल्के-फ़ुल्के रागों में ढाला जाता है तो उसे “सेमी क्लासिकल” गीत कहते है.यूँ तो लोक गीत का स्वभाव बहुत खुला और सुलभ होता है,यानी बिना किसी अनुसाशन के,तभी तो वो लोक गीत या सामान्य जनमानस का गीत-संगीत है किंतु समय के साथ इस विधा में भी कुछ गीतों को,सरल रागों में सुर,लय,ताल में बद्ध किया गया और ये बने semi-classical लोक गीत और इन गीतों की बहुत सराहना की गयी और ये बहुत कर्णप्रिय के साथ बहुत लोकप्रिय भी हुए.इन गीतों की सहजता के साथ थोड़ा रागों का मिलन इन्हें विशेष बनाता है. संसार में बहु प्रसिद्ध “ठुमरी” “दादरा” “कंहरवा” व कुछ कव्वाली सेमी क्लासिकल के सबसे चर्चित उदाहरण हैं जबकि ठुमरी और दादरा के कुछ गीत पूरी तरह क्लासिकल भी होते हैं. यहाँ हम बात कर रहे हैं भोजपुरी semi क्लासिकल लोक गीतों की तो ये ज़्यादा दादरा,कंहरवा और कौव्वाली में ही प्रयोग किए गए और ये प्रयोग बहुत पसंद किया गया. तो ऐसे ही कुछ मनहर गीतों का गुलदस्ता सजाने का प्रयास किया है मैंने,जिस में ये भी प्रयास है की हर विधा के भोजपुरी लोकगीत स्वरूपी पुष्प अपनी अलग पहचान व अपनी अलग सुगंध से आप को प्रफुल्लित कर सकें.






“हँसी हँसी पनवा”

(ये गीत बिदेसिया विधा से है )


हँसी हँसी पनवा
खियवले बईमनवा
की अपना बसे रे परदेस
कोरी रे चुनरिया में
दगिया लगाई के
मारी रे करेजवा में ठेस....२

कज़री नजरिया से
खेलें रे बदरिया...२
की बरसे रकतवा के नीर
सरदी के मारे छाई
ज़रदी चनरमा पे
गर्दी मिले रे तक़दीर...२


चढ़ते फगुनवाँ सगुनवा
मनावे गोरी....२
चैता करे रे उपवास...२
गरमी बेशर्मी ना
बेनिया डोलाए रे
डारे सैयां गरवा में फाँस...२

हँसी हँसी पनवा
खियवले बईमनवा
की अपना बसे रे परदेस
कोरी रे चुनरिया में
दगिया लगाई के
मारी रे करेजवा में ठेस.






“अंगनैया “

(इस गीत को बारहमासा कहते हैं)

नीक ना लागेला अंगनैया
बलम छोड़ गैलें विदेसवा
नीक ना....२
गैलें विदेसवा हो गैलें
विदेसवा....२
नीक ना......२

चैत बैसाख जेठ
गरमी सतावे
चढ़ते आषाढ़ मेघ
जियरा जरावे...२
सावन में बेधे पुरवैया
सावन में......२
बलम छोड़ गैलें विदेसवा

नीक ना लागेगा अंगनैया
बलम छोड़ गैलें विदेसवा
गैलें विदेसवा हो
गैलें विदेसवा
नीक ना.....२


भादों के अंधरिया
कुवार के अजोरिया
कातिक के बिपति
देख बरसे नजरिया
अगहन में रटीं
रोज़ सैयां....२
बलम छोड़ गैलें विदेसवा
नीक ना...२

नीक ना लागेला अंगनैया
बलम छोड़ गैलें विदेसवा
गैलें विदेसवा हो
गैलें विदेसवा
नीक ना....२

पूस और मघवा में
जाड़ा सतावे...२
निर्मोही बलमा
लौटी ना आवे
फागुन में रटीं
रोज सैयां.....२
बलम छोड़ गैलें विदेसवा
नीक ना...२







“हम से झूठी बतिया”

(ये गीत ठुमरी विधा में है )

काहे करेला राजा
हम से झूठी बतिया...२
हम से झूठी बतिया राजा
हम से झूठी बतिया
काहे करेला....२

कौन सौतन संग
रतियाँ बितवला
रतियाँ बितवला सैंया
रतियाँ बितवला
ओ कौन सौतन संग
रतियाँ बितवला
केतना छुपावा भेद खोलें
तोरी अँखिया...२
काहे करेला
काहे करेला राजा
हम से झूठी बतिया....२

हम से झूठी बतिया राजा
हम से झूठी बतिया
काहे करेला....२

खा तू क़सम हमरा
छोड़ के ना जईबा
छोड़ के ना जईब राजा
छोड़ के ना जईबा
खा तू क़सम.....२
तोहरे दम पे
तोहरे दम पे बा
हमरी जिनिगिया
काहे करेला राजा
हम से झूठी बतिया...२

काहे करेला राजा
हम से झूठी बतिया...२
काहे करेला
काहे करेला राजा
हम से झूठी बतिया.








“अली अली”

(ये गीत क़व्वाली विधा में है )

अली अली अली अली
अली अली दम अली अली...२

ख़ुदा के नज़रिया
जेकरा पे हो जाई..२
ओकरा पे ना केहू के
ज़ोर चली...२
अली अली अली अली
अली अली दम.....२

अली अली अली अली
अली अली दम अली अली
अली के जलवा गली गली
अली अली दम...२


अल्लाह के फ़ज़ल से
ई बाटे हो कायनात हो
अल्लाह के.....२
जे बाटे करम से सच्चा
ओह पे बाटे ख़ुदा के हाथ हो
जे बाटे करम....२
ख़ुदा से बढ़ के कुछ नहीं
ख़ुदा से हट के कुछ नहीं
सबसे बड़ा है बाज़ीगर
ख़ुदा से बढ़ के कुछ नहीं
ख़ुदा ही ख़ुदा है
ख़ुदा से ज़माना
शान से जिएगा
ख़ुदा का दीवाना
क़यामत से पहिले
क़यामत ना आई
आँधी तूफ़ान में भी
शम्मा जली
अली अली अली अली
अली अली दम अली अली...२

अली अली अली अली
अली अली दम अली अली
अली के जलवा गली गली
अली अली अली अली
अली अली दम अली अली

या अली या अली
अली के जलवा गली गली
अली अली अली अली
अली अली दम अली अली.








“मोतिया हेराई गैलें”


(ये गीत चैती विधा में है )

एही ठाइयाँ मोतिया
हेराई गैलें रामा
कहँवा मैं ढूँढूँ
एही ठाइयाँ मोतिया
हेराई गैलें रामा
कहँवा....२

अंगना में खोजलि
अटरिया में खोजलि..२

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