Wednesday, 18 October 2017

भोजपुरी गाने और अनारकली


अभी कुछ दिनो पहले ही मैंने इक फ़िल्म देखी "अनारकली ऑफ़ आरा".फ़िल्म बहुत प्रभावशाली है और आप को बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है. इस फ़िल्म को देखते समय मुझे बचपन में देखी फ़िल्म "तीसरी क़सम" की बार बार याद आ रही थी क्यूँ की कहीं न कहीं दोनो फ़िल्मों की कहानी में बहुत समानता है. साथ ही दोनो फ़िल्मों के बीच का जो समय अंतराल है वो समाज के परिवर्तन, औरतों के बदलते सामाजिक स्थान और गरिमा का महत्त्व बताता है.
       दोनों फ़िल्मों में नायिका इक लोक कलाकार होती है और अलग अलग जगहों पर मंच पर नाच गा कर अपना व परिवार का भरण-पोषण करती है. स्वाभाविक है कि नाचने गाने वाली औरत को हमारे समाज में अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता है.बड़े फ़िल्मी सितारों की बात अलग है लेकिन छोटे शहर या क़स्बों में इसे बुरा ही माना जाता है. लोग इनके गीत और नृत्य को तो बहुत enjoy करते है, पर इन्हि कलाकारों को सम्मान नहीं देते है. सभी इनको आसानी से उपलब्ध मनोरंजन का साधन समझते हैं और इनके साथ छेड़खानी या मनमानी करना अपना अधिकार मानते हैं. लोग ये मान कर चलते है की नाच गा रही है तो इसकी क्या ही इज़्ज़त होगी और मैं जो चाहूँ इसके साथ व्यवहार कर सकता हूँ.
            पता नहीं कब से ये सोच हमारे पुरुष प्रधान समाज में चली आ रही है और पता नहीं कब समाप्त होगी. दोनों फ़िल्मों में दिखता है की नायिका जब भी मंच पर कार्यक्रम करती है तो उसे लोगों के ताने, व्यंग भरी बातें सुननी पड़ती है. कुछ प्रभावशाली लोग तो उन्हें छेड़ना, कटाक्ष मारना और कभी-कभी तो अश्लील हरकतें करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार ही समझते है.
             "तीसरी क़सम" में नायिका हीरा बाई पुराने समय में यही सब कुछ सहन करती रहती है और उसका इक मात्र सचमुच चाहने वाला हीरामन भी ग़रीब और दलित सा ही होता है तो वो सब कुछ देख कर दुखी हो कर भी उसके लिए आवाज़ नहीं उठा पता है. वो और हीरा बाई रोज ही अपमान देखते और सहते हैं लेकिन समाज के सम्मानित लोगों के विरोध में आवाज नहीं उठा पाते है.लेकिन ये बहुत पुराने समय की बात थी. अब आते हैं "अनारकली ऑफ़ आरा" की नायिका के पास, वो भी अपना जीवन यापन मंच पर नाच गा कर ही करती है और उसके साथ भी वही सब कुछ होता है, सार्वजनिक रूप से छेड़खानी, अश्लील जुमले बोले जाते है. क्यूँ की उनके जीवन में ये रोज़मर्रा की बात होती है इसलिए अनारकली काफ़ी हद तक सब कुछ बर्दाश्त करती रहती है लेकिन इक कार्यक्रम के दौरान इक "so called" इज़्ज़तदार आदमी नशे में धुत हो कर मंच पर सबके सामने ही उसे छेड़ने   लगता है तो वो बर्दाश्त नहीं करती. उस प्रभावशाली व्यक्ति से बदला लेने की कठिन लड़ाई लड़ती है.
यही अंतर है पुराने ज़माने की हीरा बाई और नए दौर की अनारकली में. एक सब कुछ सह जाती है जबकि दूसरी समाज से विद्रोह करती है अपने अधिकारों के लिए. 
वह अपने पेशे या संगीत से भागती नहीं है पर उस व्यक्ति को पूरे समाज के सामने शर्मिंदा कर के हमें ये संदेश देती है की चाहे वो किसी भी पेशे या वर्ग की हो उसकी भी उतनी ही इज़्ज़त है जितनी हमारी या आपकी.
हालाँकि मुझे इस फ़िल्म के प्रमोशन के लिए कोई पैसे नहीं मिलें है पर मेरी राय में आपको ये फ़िल्म एक बार ज़रूर देखनी चाहिए. छोटे शहरों और क़स्बों में रहने वाले लोग फ़िल्म की बारीकियों से ख़ुद को relate कर पाएँगे. 

इस फ़िल्म को मैंने अपने ब्लॉग में ख़ास कर के इस लिए जगह दी है क्यूँकि मेरी समझ में ये आधुनिक हिंदी सिनमा में लोक संगीत का सबसे सटीक चित्रण है. गाने पूरी तरह से मिट्टी से जुड़े हुए हैं. लगता ही नहीं की बॉलीवुड के म्यूज़िक studios में बनाए गए हों.
कहानी की माँग देखते हुए गानो के कुछ हिस्से बोल्ड ज़रूर हैं पर अश्लील नहीं. 
इनमें असली लोक गीतों की मस्ती है, चटकीलापन है. उत्तरप्रदेश ओर बिहार के गाँवों में होने वाली नौटंकी जिन लोगों ने देखी होगी उन्हें पुराना समय याद आ जाएगा.



"ए दरोग़ा"

दिलों से खेलते हो या
आके कोई
जुंग करतें हो 2
आ दुनाली लेके सरकारी हम
क्यूँ तंग करते हो

आए ज़रा घिस ले तनिक रगड़ ले
आए ज़रा घिस ले तनिक रगड़ ले
आए दारोगा दुनालिया में जुंग
लागे हो..
आए दारोगा दुनालिया में जुंग
लागे हो..
ऐसे आंते हो मुच्छवा दबंग्ग लगे हो
आए ज़रा घिश ले
आए दारोगा, आए दारोगा दुनालिया में जुंग
लागे हो..
आए दारोगा दुनालिया में जुंग
लागे हो..

ताम ताम घोड़ा उतरा खेल में
रिस्क तोड़ा तोड़ा ताल मेल में 2
ढाए बार उच्छला और हाफ़ गया
आए हाए काफ गया
छ्होटी सी डेहरी ना लाँघ पाया
ज़रा थम जा बिना कती कमरिया में बाल लागे हो
ऐसे हाफे है जियरा से हम जाला हो

आए ज़रा घिस ले तनिक रगड़ ले
आए ज़रा घिस ले तनिक रगड़ ले
आए दारोगा दुनालिया में जुंग
लागे हो..
आए दारोगा दुनालिया में जुंग



मोरा पिया मतलब का यार



हमरा के कन्फ्यूजिया के गया 
खिड़की से पटना दिखा के गया 
हमरा त चौखट के भीतरीही जुल्म है 
सईयाँ घुमक्कड़ को धरती भी कम है

सूट बूट जुलमी तैयार 
मोरा पिया मतलब का यार 

भीतर ही भीतर बदन सारा टूटे 
सईयाँ मजा जा के दुबई में लुटे 
भीतर ही भीतर बदन सारा टूटे 
सईयाँ मजा जा के दुबई में लुटे 

हमरी जवानी न बिस्तर न खाट के 
हमसे ही सारा कनेक्सन वो काट के 
हाय जोड़े है दुनिया से तार 
ऐ मोरा पिया मतलब का यार 

सूट बूट जुलमी तैयार 
मोरा पिया मतलब का यार 

हमसे हटके चले उनसे सटके 
उसका कैरक्टर ये दिलवा में खटके 
हमसे हटके चले उनसे सटके 
उसका कैरक्टर ये दिलवा में खटके 
वादा निभायेंगे जुमला गिराई के 
गोल गोल हमका जलेबी खिलाई के 
बड़ा बतिया करे रसदार 
मोरा पिया मतलब का यार 



लहंगा झांके


हम का देखे सुरती फांके 
चोर नज़र से लहंगा झांके रे...
हम का देखे सुरती फांके 
चोर नज़र से लहंगा झांके रे...
रे हटा ले नजरिया के खींचे मुवा डोर
सरक सरक सरकाई ले...लंहगा मारे ला जोर..
सरक सरक सरकाई ले...ई लहंगा मारे ला जोर 

जल बिन मछरिया सी तड़पू रोज़ रोज़ 
आजा रस निचोड़ राजा 
घटक घटक घटकाई ले...चढ़ाई ले..
जवानिया मारे ला जोर..
सरक सरक सरकाई ले 
ई लहंगा मारे ला जोर 



भुला हमका दिल्ली जाईके, हमरा चितचोर जी..
भुला हमका दिल्ली जाईके, हमरा चितचोर जी..
खटिया पे सोये आके..दूर बड़ा दूर जी...
अंगिया बे सहूर राजा 
धड़क धडक धड्काई ले..चढ़ाई ले..
ई जियरा मारे ला जोर 
सरक सरक सरकाई ले 
ई लहंगा मारे ला जोर...
सरक सरक सरकाई ले 
ई लहंगा मारे ला जोर...




सा रा रा रा 

नार देख के लार गिराए राजा जी 
मूह में पानी देख जवानी झट बौराये राजा जी 
गैया आपनी बहने मैया
दूजी दूध मलाई जी 
हरे नोट लंगोट में घुस कर खलबल खलबल राजा जी 

नहीं ख़िलोना औना पौना राजा जी
मुच्छिया उखाड़ देख धोबिया पछाड़ देख 
देवी सवार देख सा रा रा रा रा
आज होगा साँवरिया सा रा रा रारा
चल नाच लहरिया सा रा रा रा रा

अबला बवाल देख ड़ायन छिनाल देख
कुलटा कमाल देख सा रा रा रा रा
आज होगा साँवरिया सा रा..
चल नाच लहरिया सा रा..

छातिया पे रख के चला दे तू बंदूकिया कि अब तो गुलमिया की नाह नाह नाह नाश 
बनिहे तो बनिहे हाँ सच में ख़बरिया की छुए गा जो हमका बिन हाँ हाँ
मन बदन में मोरे सा रा रा रा रा
सर चढ़ कर तोहरे सा रा रा रा
तन नाचे झकझोरे सा रा रा रा
घन घन घन घोरे सा रा रा रा
तन नाचे झकझोरे सा रा रा रा

हमरे बदनवा की हम महरानिया की तुमरि जागीरियाँ की नाह नाह नाह
होईए तो होईए रे बड़ा जमिंदरवा की हमरी डगरिया की हम राजा
मन बदन में मोरे सा रा रा रा रा
सर चढ़ कर तोहरे सा रा रा रा
तन नाचे झकझोरे सा रा रा रा
घन घन घन घोरे सा रा रा रा
तन नाचे झकझोरे सा रा रा रा



Disclaimer: These songs are from the film Anarkali Of Aarah. Original composer: Rohit sharma.

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