वैसे तो मैं अपने blog पे केवल लोक गीत और उन से सम्बंधित बातें ही लिखती हूँ, पर समाज की दशा और दिशा देख कर कभी-कभी बहुत कष्ट होता है. सौभाग्य से हमारी पीढ़ी को जहाँ बहुत पुरानी परम्परायें,रस्म, रिवाजों के बारे में पता है वहीं दूसरी ओर technologically में हम इतने आगे बढ़ चुके हैं की कभी अंतरिक्ष में “मंगल यान” भेज रहे हैं तो कभी चाँद पर घर बसाने की भी बात करते हैं.ऐसी ही विचित्र और विभिन्न मानसिकता में हम जी रहे हैं,शायद इसीलिए समाज में संतुलन की बहुत ज़रूरत है.कुछ लोग ऐसे मिलते हैं जो सिर्फ़ आधुनिकीकरण के ही पीछे भाग रहे हैं तो कुछ पुराने संस्कारों और रीति-रिवाजों को छोड़ नहीं पा रहे हैं.मेरा मानना है कि दोनों धाराओं को साथ ले कर चलने की आवश्यकता है,तभी इक संतुलित और विकसित समाज का निर्माण हो सकता है.इस युग में सम्भव ही नहीं है की हम हर तरह से updated ना हों,समाज का विकास ही रुक जायेगा इसलिए आगे बढ़ें नए प्रयोग कर अपना व समाज का उत्थान करें. मेरे इस post में बच्चे के जन्म से सम्बंधित बातें और गाने थे.आज मैं आप को “लचारी” के बारे में बताने वाली थी,पर लिखते समय मन में आया की कुछ तथ्यों से भी आप को अवगत करा दूँ,असल में हमारे आस-पास ही ये सब होता रहता है पर हम ध्यान नहीं दे पाते हैं.जैसा सर्व विदित है की 60 और 70 के दशक में अधिकतर बच्चे घर पर ही बिना किसी Doctor की देख-रेख के ही पैदा हो जाते थे और घर वालों की देखभाल में रहते थे,पर अब ना तो परिवार है ना समय है और ना ही ऐसा होना चाहिये की जच्चा-बच्चा बिना किसी medical सुविधा के रहें.प्रसव कितना कठिन समय होता है इक स्त्री के लिए ये इक माँ ही समझ सकती है साथ ही नवजात शिशु को भी Doctor की देख-भाल चाहिये होती हैं.जो की पहले नहीं थी पर अब सबको सुविधा मिल जाती है इसका नतीजा ये है की जहाँ 1960 में IMR 245 थी वहीं अब 2018 में ये संख्या घट कर केवल 34 रह गयी है. इसका सीधा सा अर्थ है की सुविधाओं के अभाव में 1960 में पैदा होने वाले 1000 बच्चों में से 245 बच्चों की मृत्यु हो जाती थी जो अब सौभाग्य और विज्ञान की वजह से घट कर प्रत्येक 1000 बच्चों से हम केवल 34 बच्चे ही खोते हैं,और भविष्य में इस से भी अच्छा होगा.
बहुत गम्भीर बातें हो गयी चलिये पुनः आप को परम्परा और गीत-संगीत की ओर ले चलती हूँ. लचारी गीत हल्के-फुल्के और बहुत मनोरंजक होते हैं और इन में हमारी रीतियाँ,रिवाज और परिवार के लगभग सभी सदस्यों का ज़िक्र हो जाता है.कहीं जिठानि-देवरानी का नेग है तो कहीं रूठी ननद की हठ कहीं देवर का प्यार है तो कहीं सास-ससुर का आशीर्वाद. इतना ही नहीं इन गीतों में बहुत मीठे व्यंग व मीठी गालियाँ दूसरे पक्ष के लिए गायी जाती है.ऐसे ही हँसी-ठिठोलि और मनोरंजन से भरपूर हैं ये लोक गीत.इन्हि में से कुछ गीतों के रंग आप के लिए लायी हूँ.आशा है आप गीतों का आनंद लेंगे और मेरा विनम्र संदेश भी समझने का प्रयास करेंगे .

“कृष्ण अवतार”
श्री कृष्ण लिए अवतार सखी मामा के जेलों में...३
मामा के जेलों में सासु नहीं थीं
मामा के.....२
देवता कौन मनाये सखी...२
मामा के....२
श्री कृष्ण लिए अवतार सखी मामा के जेलों में...२
मामा के जेलों में जिठनि नहीं थी
मामा के....२
पीपली कौन पिसाए सखी....२
मामा के....२
श्री कृष्ण लिए अवतार सखी मामा के जेलों में...२
मामा के जेलों में नन्दी नहीं थी...२
मामा के....२
काजल कौन लगाये सखी...२
मामा के....२
श्री कृष्ण लिए अवतार सखी मामा के जेलों में...२

“गोरा लालन”
गोरा गोरा लालन खेल रहा आँगन
सिर पर घुंघर दार बाल
बाहर मत जाना....२
दादा घर जाना दादी घर जाना...२
दादी करेंगी तेरा प्यार...२
बाहर मत....२
गोरा गोरा....२
नाना घर जाना नानी घर जाना...२
नानी करेंगी तेरा प्यार....२
बाहर मत...२
गोरा गोरा...२
मामा घर जाना मामी घर जाना...२
मामी करेंगी तेरा प्यार....२
बाहर मत....२
गोरा गोरा....२
बुआ घर जाना फूफा घर जाना...२
बुआ करेंगी तेरा प्यार....२
बाहर मत...२
गोरा गोरा...२
गोरा गोरा लालन खेल रहा आँगन
सिर पे घुंघर दार बाल
बाहर मत जाना.

“ऐ हरी”
ललना के टूटे ना पलनवा
लालन बड़ा रोवे ऐ हरी....२
लालन बड़ा रोवे ऐ हरी
लालन बड़ा....२
ललना के टूटे....२
आपन अम्माँ होती तो हुलस के उठौति..२
सैयाँ जी के अम्माँ निर्मोहिया....२
दरदियो ना जाने ऐ हरी....२
ललना के टूटे ला पलनवा
लालन बड़ा...२
आपन भाभी होती तो हुलस के उठौति...२
सैयाँ जी के भाभी निर्मोहिया...२
दरदियो ना जाने ऐ हरी....२
ललना के टूटे ला पलनवा
लालन बड़ा...२
आपन बहिना होती तो हुलस के उठौति.२
सैयाँ जी के बहिना निर्मोहिया....२
दरदियो ना जाने ऐ हरी...२
ललना के टूटे ला पलनवा
लालन बड़ा रोवे ऐ हरी...२

“होवे ला ललनवा”
उठे ला दरदिया बड़ा ज़ोर हो जाला....२
होवे ला ललनवा बड़ा शोर हो जाला...२
हम तो चललीं अंगनवा
सासु देखे ली ललनवा
लालन चंदा चकोर हो....२
हम तो...२
कहँवा लुकाई ले के जाईं
का करी हो....२
सबकी नज़रिया लालन की ओर हो जाला..२
होवे ला ललनवा....२
हम तो चललीं दूवरिया
जिजी देखे ली ललनवा
लालन चंदा चकोर हो....२
हम तो...२
कहँवा लुकाई ले के जाईं
का करी हो...२
सबकी नज़रिया लालन की ओर हो
जाला...२
होवे ला ललनवा....२
हम तो चललीं बहरवा
नन्दी देखलि ललनवा
लालन चंदा चकोर हो...२
हम तो...२
कहँवा लुकाई ले के जाईं
का करी हो...२
सबकी नज़रिया लालन की ओर हो
जाला...२
होवे ला ललनवा...२
उठे ला दरदिया बड़ा ज़ोर हो जाला..२
होवे ला ललनवा बड़ा शोर हो जाला..२
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