“सोहर व लचारी की उमंग”
जैसे की अपने पहले पोस्ट में मैं वर्णन कर चुकी हूँ की कैसे कृष्ण जन्मोत्सव की तैयरियाँ की जाती थी. फिर जन्म के बाद आरती और प्रसाद वितरण होता था.अब बारी आती है बधाई, सोहर, लचारी गाने का.हमारी भारतीय परम्परा में तो किसी बालक का जन्म बहुत हर्षोल्लास का होता है,और इस अवसर पर बधाई गाना बहुत पुरानी रीत है. घर की सभी स्त्रियाँ व आस-पड़ोस के लोग भी मिल कर गीत-संगीत का आनंद लेते हैं. पहले आप को सोहर के बारे में बता दूँ,ये लोक गीत की वो विधा हैं जो बच्चे के जन्म अवसर,मुंडन संस्कार,यज्ञों पवीत और जन्मदिन की वर्ष गाँठ पर भी गाया जाता है इसकी एक अलग ही राग होती है और अक्सर घर की बड़ी बुज़ुर्ग स्त्रियाँ ही गाती थीं,जो की अब बहुत कम ही सुन ने को मिलता है मुझे अपनी सांस्कृतिक विरासत से बहुत लगाव है पर धीरे-धीरे ये सब कहीं पीछे छूटता जा रहा है और हमारी नयी पीढ़ी इस से दूर होती जा रही है. कुछ तो समय का अभाव है कुछ लोग जान-बुझ कर western culture के दीवाने हैं और कुछ कारण ये भी है की हम अपनी धरोहर युवा पीढ़ी को सिखाने का बहुत प्रयास भी नहीं करते. मैं समझती हूँ की नयी धारा में बहने के साथ-साथ हम अपनी विरासत को भी साथ लेते चलें,इसी लिए मेरा ये छोटा सा प्रयास है की अपने blog के माध्यम से मैं आप को अपने लोक संगीत से जोड़ सकूँ.
सोहर व लचारी में प्रायः बालक जन्म की बधाई दी जाती है साथ ही सास ननद, जेठानि,देवरानी,देवर और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हँसी-ठिठोलि का मधुर रस होता है.अब तो अधिकतर बच्चे ceaserean या opretation से hospital में ही होते हैं,पर बहुत पहले बच्चे का जन्म घर पर ही बड़ी,बुढ़ियों की देख रेख में दाईं और नाईन की सहायता से हो जाता था. शायद इसी लिए बहुत से गीतों में दाईं,धगरिन और नाईन का बहुत बार वर्णन आता है.तो चलिये ले चलते हैं आप को सोहर की राग-रागिनियों के बीच.

“ललनवा”
जुग जुग जिय सु ललनवा
भवनवा के भाग जागल हो ललना लाल होईंहे क़ुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो...३
आज के दिनवा सुहावन रतिया लुभावन हो....२
ललना दिदिया के होरिला जन्मले होरिलवा बड़ा सुंदर हो...२
नकिया त हवें जैसे बाबु जी के अँखिया त माई के हो....२
ललना मुहँवा त चनवाँ सूरजवा जे सगरो अँजोर भैलें हो....३
सासु सुहागिन बड़ी भागीन अन-धन लुटावेलि हो....२
ललना दूवरा पे बाजे ला बधाइयाँ
अंगनवा उठे सोहर हो...२
नाची नाची गावेलि नन्दीया लालन के खेलावेलि हो..२
ललना हँसी-हँसी सीहुंकि चलावेलि लालन के दुलारेली हो....२
जुग जुग जिय सु ललनवा भवनवा के भाग जागल हो...२
ललना लाल होईहै क़ुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो.

"रूप अनूप”
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ अनमनी हैं.....३
दियना बारि महल बीच बैठि
दियना...२
की अब आवे लगी हो
की अब आवे लगी हो
अब आवे लगी सतरंगी पीर
आज कुछ अनमनी हैं...२
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ अनमनी हैं....२
जाओ जाओ नंद बुलाय लाओ धगरिन
जाओ....२
अब यशुमती हाल बेहाल आज कुछ अनमनी हैं...२
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ
अनमनी हैं...२
आधी रात निखंड भए पहरा
आधी रात...२
की अब जनम लियो नंद लाल आज कुछ ख़ुश दिल हैं...३
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ ख़ुश दिल हैं...२

“जच्चा रानी”
घर में से निकले जच्चा रानी
निकले जच्चा रानी
पियवा से बात करें
पियवा से बात करें
हो राजा हम ना सुतब गज़ओबर
की रतिया डेरा गयीलि ना...२
बारी देबों जीरवा के करसी
लवाँगिया के बोरसी
धाना बारी देबों मानि के दियना
त कैसे डेराई जाबु हो...२
बुत ज़ैहै जीरवा के करसी
लवंगियाँ के बोरसी
हो राजा बुत ज़ैहै मानि के दियना
त फिर से डेराय जाबे हो...२
खिरकि सूताएबे खिरकि वलवा
दुवारे पहरेदारवा
अरे ओबरी सुतइबै आपन मैया
त कैसे डेराय जाबु हो...२
खिरकि सुती खिरिकी वलवा
दुवरा पहरेदारवा
राजा सुत ज़ैहै राउर मैया
त फिर से डेराय जाबे हो...२
जो हम जनती धाना
इतना छछन करबू
इतना बिछन करबू
धाना दुई चार गोतनी बोलौति
नैहरवाँ पहुँचा देती हो....२
घर में से निकले जच्चा रानी
पियवा से बात करे हो...२
राजा हम ना....२

“ढोलकी”
सासु लेहू आपन ढोलकी
सजन से नाहीं बोलकी....२
हो सासु अब हम ना साँची पनवा
खाईंब
ना सेजिया जाईं सोईब हो
सासु लेहू.....२
जिजी लेहू आपन गजरा सजन से हो गैल
झगरा
सजन से....२
हो सासु अब....२
ना सेजिया.......२
बीबी लेहू आपन झलीया सजन से हो गैल गलियाँ
सजन से....२
हो सासु अब....२
ना सेजिया......२
सासु लेहू आपन ढोलकी सजन से नहीं बोलकी...२
हो सासु अब हम ना साँची पनवा खाईंब ना सेजिया जाईं सोईब हो....२
आठ ही नौ मास बीतले त ललना जनम लिहले
होरिला जनम लिहले हो...२
सासु अब हम साँची पनवा खाईब
सेजिया जाईं सोईब हो...२
जिजी देहू आपन गजरा सजन से नाहीं
झगरा
सजन से...२
हो सासु अब हम साँची पनवा खाईंब सेजिया जाईं सोईब हो...२
बीबी देहू आपन झलीया सजन हो गैल बोलियाँ
सजन से....२
हो सासु अब....२
और सेजिया जाईं सोईब हो...२
सासु देहू आपन ढोलकी सजन से हो गैल बोलकी
सजन हो गैल बोलकी
हो सासु अब हम साँची पनवा खाईब सेजिया जाईं सोईब हो...२
जैसे की अपने पहले पोस्ट में मैं वर्णन कर चुकी हूँ की कैसे कृष्ण जन्मोत्सव की तैयरियाँ की जाती थी. फिर जन्म के बाद आरती और प्रसाद वितरण होता था.अब बारी आती है बधाई, सोहर, लचारी गाने का.हमारी भारतीय परम्परा में तो किसी बालक का जन्म बहुत हर्षोल्लास का होता है,और इस अवसर पर बधाई गाना बहुत पुरानी रीत है. घर की सभी स्त्रियाँ व आस-पड़ोस के लोग भी मिल कर गीत-संगीत का आनंद लेते हैं. पहले आप को सोहर के बारे में बता दूँ,ये लोक गीत की वो विधा हैं जो बच्चे के जन्म अवसर,मुंडन संस्कार,यज्ञों पवीत और जन्मदिन की वर्ष गाँठ पर भी गाया जाता है इसकी एक अलग ही राग होती है और अक्सर घर की बड़ी बुज़ुर्ग स्त्रियाँ ही गाती थीं,जो की अब बहुत कम ही सुन ने को मिलता है मुझे अपनी सांस्कृतिक विरासत से बहुत लगाव है पर धीरे-धीरे ये सब कहीं पीछे छूटता जा रहा है और हमारी नयी पीढ़ी इस से दूर होती जा रही है. कुछ तो समय का अभाव है कुछ लोग जान-बुझ कर western culture के दीवाने हैं और कुछ कारण ये भी है की हम अपनी धरोहर युवा पीढ़ी को सिखाने का बहुत प्रयास भी नहीं करते. मैं समझती हूँ की नयी धारा में बहने के साथ-साथ हम अपनी विरासत को भी साथ लेते चलें,इसी लिए मेरा ये छोटा सा प्रयास है की अपने blog के माध्यम से मैं आप को अपने लोक संगीत से जोड़ सकूँ.
सोहर व लचारी में प्रायः बालक जन्म की बधाई दी जाती है साथ ही सास ननद, जेठानि,देवरानी,देवर और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हँसी-ठिठोलि का मधुर रस होता है.अब तो अधिकतर बच्चे ceaserean या opretation से hospital में ही होते हैं,पर बहुत पहले बच्चे का जन्म घर पर ही बड़ी,बुढ़ियों की देख रेख में दाईं और नाईन की सहायता से हो जाता था. शायद इसी लिए बहुत से गीतों में दाईं,धगरिन और नाईन का बहुत बार वर्णन आता है.तो चलिये ले चलते हैं आप को सोहर की राग-रागिनियों के बीच.

“ललनवा”
जुग जुग जिय सु ललनवा
भवनवा के भाग जागल हो ललना लाल होईंहे क़ुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो...३
आज के दिनवा सुहावन रतिया लुभावन हो....२
ललना दिदिया के होरिला जन्मले होरिलवा बड़ा सुंदर हो...२
नकिया त हवें जैसे बाबु जी के अँखिया त माई के हो....२
ललना मुहँवा त चनवाँ सूरजवा जे सगरो अँजोर भैलें हो....३
सासु सुहागिन बड़ी भागीन अन-धन लुटावेलि हो....२
ललना दूवरा पे बाजे ला बधाइयाँ
अंगनवा उठे सोहर हो...२
नाची नाची गावेलि नन्दीया लालन के खेलावेलि हो..२
ललना हँसी-हँसी सीहुंकि चलावेलि लालन के दुलारेली हो....२
जुग जुग जिय सु ललनवा भवनवा के भाग जागल हो...२
ललना लाल होईहै क़ुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो.

"रूप अनूप”
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ अनमनी हैं.....३
दियना बारि महल बीच बैठि
दियना...२
की अब आवे लगी हो
की अब आवे लगी हो
अब आवे लगी सतरंगी पीर
आज कुछ अनमनी हैं...२
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ अनमनी हैं....२
जाओ जाओ नंद बुलाय लाओ धगरिन
जाओ....२
अब यशुमती हाल बेहाल आज कुछ अनमनी हैं...२
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ
अनमनी हैं...२
आधी रात निखंड भए पहरा
आधी रात...२
की अब जनम लियो नंद लाल आज कुछ ख़ुश दिल हैं...३
अब यशुमती रूप अनूप आज कुछ ख़ुश दिल हैं...२

“जच्चा रानी”
घर में से निकले जच्चा रानी
निकले जच्चा रानी
पियवा से बात करें
पियवा से बात करें
हो राजा हम ना सुतब गज़ओबर
की रतिया डेरा गयीलि ना...२
बारी देबों जीरवा के करसी
लवाँगिया के बोरसी
धाना बारी देबों मानि के दियना
त कैसे डेराई जाबु हो...२
बुत ज़ैहै जीरवा के करसी
लवंगियाँ के बोरसी
हो राजा बुत ज़ैहै मानि के दियना
त फिर से डेराय जाबे हो...२
खिरकि सूताएबे खिरकि वलवा
दुवारे पहरेदारवा
अरे ओबरी सुतइबै आपन मैया
त कैसे डेराय जाबु हो...२
खिरकि सुती खिरिकी वलवा
दुवरा पहरेदारवा
राजा सुत ज़ैहै राउर मैया
त फिर से डेराय जाबे हो...२
जो हम जनती धाना
इतना छछन करबू
इतना बिछन करबू
धाना दुई चार गोतनी बोलौति
नैहरवाँ पहुँचा देती हो....२
घर में से निकले जच्चा रानी
पियवा से बात करे हो...२
राजा हम ना....२

“ढोलकी”
सासु लेहू आपन ढोलकी
सजन से नाहीं बोलकी....२
हो सासु अब हम ना साँची पनवा
खाईंब
ना सेजिया जाईं सोईब हो
सासु लेहू.....२
जिजी लेहू आपन गजरा सजन से हो गैल
झगरा
सजन से....२
हो सासु अब....२
ना सेजिया.......२
बीबी लेहू आपन झलीया सजन से हो गैल गलियाँ
सजन से....२
हो सासु अब....२
ना सेजिया......२
सासु लेहू आपन ढोलकी सजन से नहीं बोलकी...२
हो सासु अब हम ना साँची पनवा खाईंब ना सेजिया जाईं सोईब हो....२
आठ ही नौ मास बीतले त ललना जनम लिहले
होरिला जनम लिहले हो...२
सासु अब हम साँची पनवा खाईब
सेजिया जाईं सोईब हो...२
जिजी देहू आपन गजरा सजन से नाहीं
झगरा
सजन से...२
हो सासु अब हम साँची पनवा खाईंब सेजिया जाईं सोईब हो...२
बीबी देहू आपन झलीया सजन हो गैल बोलियाँ
सजन से....२
हो सासु अब....२
और सेजिया जाईं सोईब हो...२
सासु देहू आपन ढोलकी सजन से हो गैल बोलकी
सजन हो गैल बोलकी
हो सासु अब हम साँची पनवा खाईब सेजिया जाईं सोईब हो...२
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