"बाल विवाह "
"बेमेल विवाह"
"स्त्री का पुरुष की अपेक्षा जल्दी वयस्क होना"
ये गीत आप के सामने इक दृश्य प्रस्तुत करता है.जिसने नायिका अपनी सखियों से अपने मन की बात कहती है,की कैसे वो बार बार अपने प्रिय को रिझाने का प्रयास करती है पर वो उसकी बात नहीं समझता है,और अपनी बचकानी हरकतें करता रहता है.
साथ ही गीत में तत्कालीन समाज में प्रचलित ग़लत रीति-रिवाजों पर भी कटाक्ष है.तब "fb"Twitter"और "whatsapp" तो था नही,तो यूँ ही अपने मन की बात उलाहने के तौर पर गीत में सबके बीच कह दी जाती थी.
"बारी उमरिया ब्याह के आयी,
मैं भोली सैयाँ नादान..........
कैसी बिपत पड़ी मोरी गुइयाँ,
कछु ना बूझे अजान............"
सैयाँ मिले लरिकैयाँ मैं का करूँ,
हाय हाय का करूँ.
सैयाँ मिले.
बारह बरस की मैं,ब्याह के आयी,
बारह बरस सखी बारह बरस ,
बारह बरस की मैं,ब्याह के आयी,
सैयाँ उड़ाएँ कनकैयाँ,मैं का करूँ,
सैयाँ मिले.
हाय हाय.
चौदह बरस की मैं,होने को आयी,
चौदह बरस गुइयाँ, चौदह बरस,
चौदह बरस की मैं होने को आयी,
सैयाँ चलें पैयाँ पैयाँ,मैं का करूँ,
सैयाँ मिले.
हाय हाय.
सोलह बरस की मैं,गौने पे आयी,
सोलह बरस गुइयाँ,सोलह बरस,
सोलह बरस की मैं होने को आयी,
सैयाँ करे मैया मैया,मैं का करूँ,
सैयाँ मिले.
हाय हाय.
अठरा बरस की मैं होने को आयी,
अठरा बरस,गुइयाँ अठरा बरस,
अठरा बरस की मैं होने को आयी,
सैंया छुड़ाएँ कलाईयाँ,मैं का करूँ,
सैयाँ मिले.
हाय हाय.
सैयाँ मिले लरीकैया,मैं का करूँ.
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